Monday, August 17, 2020

Veer Chandra Singh Garhwali - Personalities of Uttarakhand उत्तराखंड की महान हस्तियाँ

शायद आप सभी को पता हो 23 April 1930 पेशावर कांड और उसके नायक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के बारे में। जिस तरह जलियावाला बाग में अंग्रेजों ने वहां इकट्ठे देशवासियों पर गोलियां चलवाई थी, उसी तरह का एक और घटना इतिहास में दर्ज है "पेशावर कांड"।

History - 23 April 1930 पेशावर कांड और उसके नायक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली

पेशावर कांड में भी अंग्रेजों ने मासूम जनता पर गोली चलाने का हुक्म तो दिया पर उस सेना की टुकड़ी का संचालन एक उत्तराखंडी अफसर कर रहा था, नाम था हवलदार मेजर चंद्र सिंह भंडारी (चंद्र सिंह गढ़वाली के नाम से मशहूर)।

History - 23 April 1930 पेशावर कांड और उसके नायक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली

चंद्र सिंह गढ़वाली ने आदेश मानने से साफ इंकार कर दिया यह कह कर की - "गढ़वाली गोली नही चलाएंगे" ये सभी दुश्मन नही हमारे ही देश के अपने भाई बहन हैं। इन पर गोली नही चलाई जा सकती। और उनका साथ दिया उनके साथियों ने। यहीं से "गढ़वाली" उपनाम से प्रसिद्ध हुए। इसके लिए उनका कोर्ट मार्शल कर सजा दी गई। और उनको और उनके साथी सैनिकों को जेल में डाल दिया गया। गढ़वाली सैनिकों की पैरवी मुकंदी लाल ने की और मौत की सजा को कैद में बदलवाया।

23 अप्रैल 1994 को भारत सरकार ने उनके सम्मान में डाक टिकट जारी किया।

History - 23 April 1930 पेशावर कांड और उसके नायक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली postal stamp

नाम - चंद्र सिंह गढ़वाली
असली नाम - श्री चंद्र सिंह भंडारी
पिता का नाम - श्री जलौथ सिंह भंडारी
जन्म स्थान - मैसों, पट्टी चौथान, तहसील थलीसैण, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
उपनाम - पेशावर के नायक, गढ़वाली
जीवन - 25 दिसंबर 1891 से 1 अक्टूबर 1979

History - 23 April 1930 पेशावर कांड और उसके नायक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली statue in gairsain

25 दिसंबर 1992 को उत्तराखंड क्रांति दल ने उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैण में उनकी मूर्ति की स्थापना की और गैरसैण का दूसरा नाम चंद्रनगर भी रखा गया और यही से उत्तराखंड को अलग राज्य बनाने के आंदोलन की शुरुवात की। 

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