Sunday, August 16, 2020

Chipko Woman Gaura Devi - Personalities of Uttarakhand उत्तराखंड की महान हस्तियाँ

उत्तराखंड की महान हस्तियो के बारे में हम सभी को जानकारी होनी चाहिए, इनकी वजह से उत्तराखंड को पुरे विश्व में अलग पहचान मिली है... इन्ही में से एक हैं गौरा देवी, चिपको आंदोलन को आगे बढ़ा कर जंगलो को कटान से बचाने के लिए आगे आई गौरा देवी को चिपको वुमन के नाम से जाना जाता है।

credit - wikipedia

गौरा देवी उत्तराखंड की प्रसिद्ध महिला है जिनको हर कोई उनके पेड़ों के संरक्षण के लिए किए गए कार्यों के लिए जानता है। इन्होंने पेड़ों को काटने से बचाने के लिए पेड़ो को पकड़ लिया था और जब पेड़ काटने वाले आये तो कहा था कि पहले हमें काटो फिर पेड़ों को। इस आंदोलन को चिपको आंदोलन का नाम दिया गया ।

Google ने भी अपने Doodle के द्वारा इन्हें सम्मानित किया।

उत्तराखंड चिपको आंदोलन के 45वें वर्षगांठ पर Doodle

गौरा देवी (1925- 1991) - जंगलो को काटने से बचाने के लिए किए गए "चिपको आंदोलन" (1973)  में अहम भूमिका निभाकर प्रसिद्ध हुई।

gauradevi chipko andolan

चमोली के लाता गांव में सामान्य परिवार में जन्मी। जब जंगल काटने के लिए लोग आए तो गोरा देवी के नेतृत्व में गाव की सभी महिलाओं ने हिम्मत कर एक एक पेड़ को पकड़ के घेर लिया और कहा कि पेड़ काटने से पहले उन्हें काटो। इस बहादुरी को देख सभी हैरान थे। इसी हिम्मत की वजह से पहाड़ की जान इन जंगलो को बचाया गया।

चिपको आंदोलन का घोषवाक्य - क्या है जंगल के उपकार, मिट्टी, पानी और बयार। मिट्टी, पानी और बयार, जिंदा रहने के आधार।

Important - चिपको वुमन - गौरा देवी सुंदरलाल बहुगुणा जी को पद्म विभूषण दिया गया - 2009 में


चंडी प्रसाद बहुगुणा जी को रेमैन मैग्सेसे पुरस्कार दिया गया - 1982 में

सुंदरलाल बहुगुणा और चंडी प्रसाद भट्ट ने उत्तराखंड में पर्यावरण सरंक्षण आंदोलन को बड़ा रूप दिया। इस आंदोलन को 1987 में "सम्यक जीविका पुरस्कार (Right Livelyhood Award) से सम्मानित किया गया।

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